बुधिराम ठाकुर:निहारखण बासला पंचायत के प्रथम प्रधान
बुधिराम ठाकुर का जन्म 01 जुलाई 1952 को स्व. श्री खजाना राम और स्व. श्रीमती क्खी देवी के घर हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिला के बासला गाँव में हुआ था। इनकी शकुंतला देवी नामक एक बहन भी है। इनका बचपन बासला गाँव में व्यतीत हुआ और शिक्षा के नाम पर 5 वीं तक की शिक्षा भी निहारखण बासला के स्कुल में हुई थी। उन दिनों परिस्थियों के अनुसार शिक्षा ग्रहण करने के बाद बुधिराम अपने पिता के साथ कृषि के कामों में सहयोग करते थे।
सन 1972 में इनका विवाह शीला देवी के साथ हुआ। इसके बाद ये सपरिवार पुराने स्थान से नए स्थान पर जाकर बसे। इनके तीन पुत्र हैं जिनके नाम रोशन लाल ठाकुर, दलीप चंद और गोपाल चंद हैं। जीवनयापन के लिए कृषि कार्य करते हुए इन्होने 14 वर्ष तक मृदा विभाग में कार्य किया। जिसके अंतर्गत मृदा और जल संरक्षण के उद्देश्य से पानी की कूल, टैंक और चैकडेम आदि के निर्माण कार्य किये गये। इन्होने 2003 तक पर्यावरण संरक्षण और पौधारोपण के कार्यों में भी भाग लिया।
बुधिराम सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं और लोग इन्हें सहयोग भी करते हैं। इसी के फलस्वरूप ये 2008 से 2012 तक स्थानीय सुप्रसिद्ध झंडा मंदिर कमेटी के प्रधान भी रहे और वहां के विकास कार्यों को गति दी और हर वर्ष होने वाले धार्मिक आयोजन और मेले का आयोजन भी कराया। वहां सरकार से आर्थिक सहयोग लेकर धर्मशाला (सरायें) का निर्माण कराया।
स्वयं 5वीं तक शिक्षा ग्रहण करने वाले बुधिराम निहारखण बासला स्कूल के प्रधान भी हैं। बचपन से खेती करने वाले बुधिराम वर्ष 2019 से देशी गौआधारित प्राकृतिक खेती कर रहे हैं और सरकार के इस प्रकल्प को सफल सिद्ध करने के लिए इन्हें 2021 में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा सम्मानित भी किया गया। बुधिराम देशी गौआधारित प्राकृतिक खेती करने वाले हिमाचल के अग्रणी किसानों में से एक हैं और अपनी खेती में किसी भी प्रकार के रसायन और उर्वरकों का उपयोग नही करते हैं।
वर्ष 2021 में हुए पंचायत के चुनावों में बुधिराम नवनिर्मित निहारखण बासला पंचायत के प्रथम प्रधान बने और अपना नाम इतिहास में अंकित कराया। इनके नेतृत्व में निहारखण बासला पंचायत विकास पथ पर अग्रसर है।
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