देश में जब अंग्रेजो का राज था और हिमाचल प्रदेश के ब्यासपुर (बिलासपुर) में तब राजाओं का राज था। हिमाचल के गाँव अत्यंत निर्धन और असुविधाओं से परिपूर्ण थे। उन दिनों यदि किसी व्यक्ति ने सारे कष्ट सहते हुए शिक्षा ग्रहण करने का काम किया हो तो इसे आश्चर्य ही कहा जा सकता है। ऐसे ही कर्मठ व्यक्तितव हुए बिलासपुर के बंदला धार के स्वर्गीय श्री विजय राम ठाकुर। ये किस्सा सन 1947 से पहले का है। विजय राम ठाकुर का जन्म स्वर्गीय मसद्दी राम के घर 28 सितम्बर सन 1927 को बंदला गाँव में हुआ था। बचपन गरीबी के कोल्हू में पिसा। लेकिन विजय राम ने हार न मानी और सारे कष्ट सहते हुए स्कूल जाकर शिक्षा ग्रहण करने का काम किया और बंदला गाँव तथा इसके आसपास के बहुत से गाँवों में पहले पढ़े-लिखे (शिक्षित) व्यक्ति का उपाधि हासिल की। उस समय में उन्होंने पांचवी कक्षा तक शिक्षा ग्रहण की थी। इतना पढने के बाद उनको पटवारी पद पर सरकारी नौकरी देने के लिए कहा गया लेकिन विजय राम मुकर गए। उन्होंने खेती बाड़ी को ही अपनी आजीविका बनाया। उनका विवाह स्वर्गीया गंगों (बाल्लो) देवी से हुआ था। बहुत लम्बे समय तक बंदला गाँव में लोगों के लिए हर प्रकार का पढाई लिखाई का काम विजयराम ही करते थे। विजय राम के 5 पुत्र और 4 पुत्रियाँ हुई। उनको पशुपालन का बहुत शौक था, अपने अंतिम दिनों तक उनको नर भेड़ जिन्हें स्थानीय भाषा में ‘भेडू’ कहा जाता है, चराते देखा गया है। पुत्रों में बाबुराम ठाकुर, श्यामलाल ठाकुर, प्रेमलाल ठाकुर, प्यारेलाल ठाकुर और गोपाल ठाकुर हुए। पाँचों पुत्र सरकारी नौकरी पर रहे हैं। विजय राम ठाकुर 20 जून 2020 को अपनी सांसारिक यात्रा पूरी करके दिव्यधाम की यात्रा पर चले गये।
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